Monday, September 18, 2017

कभी न पूरी होने वाली चीज को ही तैयारी कहते हैं

         जब परीक्षा एकदम नजदीक आ जाती है तो आपको लगने लगता है कि कुछ भी तैयार नहीं | काश! कुछ दिन और मिल जाते और आप जो भी कमी रह गयी है उसे पूरा कर लेते | बार-बार दिमाग में एक ही बात घूमती रहती है कि 'क्या मैं पास कर पाउँगा ?' कहीं ऐसा न हो कि मेरिट पिछली बार से बहुत ज्यादा चली जाये, कही ऐसा न हो कि पेपर बहुत कठिन आ जाये ?........और न जाने कितने सवाल | इनमे से अधिकतर सवाल आप खुद से करते हैं और अधिकतर जवाब नेगेटिव होते हैं ......पता नहीं क्या हो ! यही सब सोचते हुए, माथे का पसीना पोछते हुए फिरसे पढाई में जुट जाते हैं | पर, पढाई कहाँ होनी है, आपका पूरा ध्यान तो उस रिजल्ट पर होता है जो परीक्षा आपने दी ही नहीं है |

           आपने कभी सोचा है ऐसा आखिर होता क्यों है ? और ये सब एग्जाम के कुछ ही दिन पहले होना क्यों शुरू होता है जबकि बहुत कुछ करने का समय भी नहीं है अब आपके पास ? मैं आपको बताऊं इसका केवल और केवल एक कारण है डर, हाँ एग्जाम को लेकर आपके दिमाग में बैठा डर | अच्छी बात है आप अपने कैरियर के प्रति सजग हैं, आप तैयारी की चिंता करते हैं पर ऐसी चिंता किस काम की जो आपके पूरे मेहनत पर पानी फेर दे |

            आपको एक राज की बात बताना चाहता हूँ ऐसा केवल आपके साथ ही नहीं होता है | परीक्षा में शामिल होने वाले सारे लोग डरे होते हैं | बस अंतर होता है डर की डिग्री में | थोड़ा बहुत डर हमें अपने कार्य को अंजाम तक पहुँचाने के लिये प्रेरित करता है पर जब इसकी मात्रा बढ़ जाती है तो सारे करे-कराये पर पानी फेर देता है |

          आज जितने लोग आप जैसी परीक्षा में सफल हुए हैं उनकी भी तैयारी कभी पूरी नहीं हुई | अधूरी तैयारी के साथ एग्जाम दिया और सफल हो गये, लेकिन एक बहुत बड़ी बात थी उनमें वो अधूरी तैयारी के बावजूद डरे नहीं, हिम्मत नहीं हारे | ये पूरा खेल डर पे जीत हासिल करने और हिम्मत को बनाये रखने का है | करके देखिये जीत आपकी होगी | वो एक कहावत है न "मन के हारे हार है, मन के जीते जीत |"

                                                       -OM PANDEY (IASPREP)

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